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शीर्षक
प्रतिलिपि
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कोस्टा रिका के भिक्षु, 7 का भाग 2

विवरण
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Q: मैं आपको बताती हूं कि मास्टर द्वार मुझे कैसे दीक्षा मिली थी। पिछले वर्ष 6 अप्रैल का दिन - मुझे अभी भी अच्छी तरह याद है, क्योंकि वह एक अविस्मरणीय दिन था। उस समय मैं अभी भी एक अखबार में पत्रकार के रूप में काम कर रही थी। पिछली रात, जब मैं घर जा रही थी तो मैंने एक पोस्टर देखा। यह पोस्टर मास्टर का था। जब मैंने इसे देखा, तो मैं इतना भावुक और विचलित हो गइ कि मैंने निश्चय कर लिया: चाहे मैं काम में कितना भी व्यस्त क्यों न होऊं, उनके व्याख्यान में मुझे अवश्य जाना होगा। उस समय मैं सचमुच बहुत व्यस्त थी, हर दिन समय-सीमा पूरी करने की जल्दी में रहती थी। लेकिन मैंने दृढ़तापूर्वक निर्णय लिया, “मुझे कम से कम एक बार व्याख्यान में जाना चाहिए।” तो, 6 तारीख को, मैं मास्टर के व्याख्यान स्थल पर गयी। मैं उस दिन थोड़ा देर से पहुंची और वहां पहले से ही लोगों की भीड़ थी। मैं किनारे पर रखे एक अतिरिक्त स्टूल पर बैठ गयी। वहां बैठे हुए, पहले तो मुझे कुछ भी महसूस नहीं हुआ। बाद में, मुझे पता ही नहीं चला कि मास्टरजी आ गये थें। मैंने अपने आस-पास के लोगों को केवल यह कहते सुना: “ओह, धर्म मास्टर आ गए हैं!”

जैसे ही मास्टरजी ने हॉल में प्रवेश किया, मंच पर पहुँचने से पहले ही - जब वह अभी आधी ही पहुँचे थें - मैं फूट-फूट कर रोने लगी। मैं बहुत गहराई से प्रभावित हो गई - यह शब्दों से परे था। उस क्षण, मुझे लगा, “मैंने अंततः आपको खोज लिया है!” यह भावना तुरन्त उभर आई। मास्टर के मंच पर आने के बाद, पूरी शाम के व्याख्यान के दौरान, मैं बस प्रशंसा से भरी रही। क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत आलोचक थी, एक बौद्धिक किस्म की व्यक्ति जो हर चीज पर सवाल उठाती और उनकी आलोचना करती थी। फिर भी मास्टर द्वारा बोले गए प्रत्येक वाक्य, प्रत्येक प्रश्न के उनके द्वारा दिए गए उत्तर में मुझे ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिसे मैं चुनौती दे सकूं। और उस समय, वर्षों से मेरे मन में जो भी शंकाएं थीं, वे लगभग समाप्त हो गईं। यह बहुत अजीब था; एक-एक करके मेरे सारे प्रश्न दूर हो गये। ओह! मुझे तो बिल्कुल सुकून मिला। इसलिए मैंने अगले दिन फिर से व्याख्यान में जाने का निर्णय लिया।

दूसरे दिन, एक और भी अधिक अविश्वसनीय घटना घटी। इस बार मैं सीट सुरक्षित करने के लिए पहले गयी, क्योंकि मुझे डर था कि वहां कोई सीट नहीं बचेगी। सीट आरक्षित कराने के बाद मैं बुफे में रात्रि भोजन के लिए चली गयी। उस समय, मैं वीगन नहीं थी, इसलिए मैंने सब्जी के कुछ व्यंजनो और स्क्विड(-लोगों) के साथ तली हुई अजवाइन का एक व्यंजन भी ऑर्डर किया - यह एकमात्र गैर-वीगन व्यंजन था। तो मैंने बहुत खाया - पहली, दूसरी और तीसरी सब्जी व्यंजन डिश। जब सभी वीगन व्यंजन समाप्त हो गए, तो मैंने स्क्विड के साथ तली हुई अजवाइन खाने का मन बनाया। मैंने पहले अजवाइन खाई, फिर स्क्विड(-लोग) खाने गयी। लेकिन जैसे ही मैंने पहला टुकड़ा खाया, मैं और नहीं खा सकी। उस दिन से, 7 अप्रैल को, मैं आधिकारिक तौर पर वीगन बन गयी, क्योंकि मैं अब (पशु-लोग) मांस नहीं खा सकती थी।

फिर तीसरे दिन, व्याख्यान सुनने के लिए मैं दोस्तों के एक पूरे समूह को साथ ले आयी। और फिर, कई रहस्यमयी बातें घटित हुईं। उदाहरण के लिए, एक मित्र, कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने के बाद, लगातार अपनी हथेलियां जोड़कर बार-बार झुकता रहा। इसके बाद, जब हम खरीदारी करने गए, तो कुछ अजीब हुआ - जब भी वह किसी ऐसी दुकान के पास से गुजरता, जहां (पशु-लोग) मांस के व्यंजन बिक रहे हों, जैसे कि बीफ नूडल की दुकान, तो उनके हाथ स्वतः ही नीचे गिर जाते। फिर, वहां से गुजरने के बाद, उनके हाथ पुनः प्रार्थना की मुद्रा में उठ जाते। इस प्रकार की अनेक आध्यात्मिक प्रतिक्रियाएं घटित हुईं। तीसरे दिन के व्याख्यान के बाद घोषणा की गई कि अगले दिन दीक्षा समारोह आयोजित किया जाएगा।

इन दिनों, कुछ प्रवासी चीनी लोग अक्सर हमसे बातचीत करते रहते हैं। उनमें से कुछ ने अपनी कठिनाइयों का उल्लेख किया। वे दीक्षा प्राप्त करना तो चाहते थे, लेकिन उन्हें चिंता थी कि वे वीगन आहार को बरकरार नहीं रख पाएंगे, और क्या शुद्ध वीगन आहार पर्याप्त पौष्टिक है। मैं आपको ईमानदारी से बताऊंगी: वीगन आहार पूरी तरह से पौष्टिक होता है। बस हमें देखिए - हम में से हर एक स्वस्थ है, यह पर्याप्त प्रमाण है। और क्या वीगन आहार जारी रखना कठिन है? मुझे लगता है कि जीवन में बहुत सी चीजें कठिन हैं। यह निर्भर करता है कि आप चुनने और प्रतिबद्ध होने के लिए तैयार हैं या नहीं। उदाहरण के लिए, एक पत्रकार के रूप में मुझे हर दिन इधर-उधर भागना पड़ता है और कई लोगों से मिलना-जुलना पड़ता है। लेकिन एक बार जब आप निर्णय ले लेते हैं, तो आप वीगन आहार का डिब्बा ला सकते हैं, और फिर भी बाहर जा सकते हैं और सामाजिक मेलजोल कर सकते हैं, फोर भी दूसरों के साथ खा सकते हैं - कोई समस्या नहीं है। आप संतुलित पोषण पर ध्यान देते हुए स्वयं वीगन भोजन बना सकते हैं। मैं सोचती हूं कि पोषण कोई समस्या नहीं है।

दीक्षा के संबंध में यह मेरा छोटा सा सुझाव है। जल्दी घर वापस आओ। अपने सच्चे घर लौटें। धन्यवाद।

(धन्यवाद, बहन ली। अब, हम सम्मानपूर्वक सुप्रीम मास्टर चिंग हाई को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित करते हैं।)

Master: धन्यवाद। बहुत बहुत धन्यवाद। तो, मुझे बहुत खुशी है कि हम एक दूसरे को फिर से देख सकते हैं। अपने व्यस्त जीवन में, आप अभी भी समय निकालकर धर्म (सच्ची शिक्षा) को सुनने आते हैं, और यह जानने का प्रयास करते हैं कि आप वास्तव में कौन हैं। यह बहुत अच्छा है... "सिग्नल" कैसे कहें? (सिग्नल।) सिग्नल। इसका मतलब यह है कि इस भौतिकवाद की ओर इतनी अधिक प्रवृत्त दुनिया में भी, अभी भी बहुत से लोग आध्यात्मिक भोजन के लिए तरस रहे हैं। यहां कोस्टा रिका में, जनसंख्या बहुत अधिक नहीं है, केवल लगभग 2 मिलियन। और इतनी विशाल भूमि होने के कारण, हर कोई फैल गया हुआ है। फिर भी, अभी भी बहुत से लोग हैं जो असुविधाजनक परिवहन के बावजूद बहुत दूर से यहां आने के लिए दौड़े चले आये हैं। मुझे यह देखकर बहुत राहत महसूस हो रही है कि आप इतनी मेहनत करके यहां आए और व्याख्यान सुनते हैं। हममें से अधिकांश लोगों का धर्म, एक धार्मिक आस्था है। लेकिन, यदि आपकी धार्मिक आस्था नहीं भी है तो भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

हम सभी के भीतर ईश्वर या बुद्ध प्रकृति विद्यमान है। यह बुद्ध प्रकृति, या ईश्वर, हमारी देखभाल करेगा। हम अपने आप पर विश्वास करते हैं कि जन्म से ही मानव स्वभाव अच्छा होता है। हमारे स्वभाव की यह अंतर्निहित अच्छाई ही हमारा धर्म है। हम कैथोलिक समूहों में शामिल हो सकते हैं, हम बौद्ध समूहों में शामिल हो सकते हैं, लेकिन चाहे वह कोई भी धर्म हो, वे सभी मानव स्वभाव की अंतर्निहित अच्छाई की इस शिक्षा को संरक्षित रखते हैं। सभी धर्मों लोगों को इस अंतर्निहित अच्छाई को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

लेकिन अगर हम स्वाभाविक रूप से अच्छे हैं, तो फिर कुछ लोग तथाकथित बुरे कर्म क्यों करते हैं? ऐसे समय में, वह अंतर्निहित अच्छाई कहां चली जाती है? कौन जानता है? किसी को नहीं पता? ज़रा सोचिए। ज़ोर से कहो, बहादुर बनो! (वह अंतर्निहित अच्छाई शैतान द्वारा अवरुद्ध कर दी जाती है।) उस समय हम भूल जाते हैं, है न? क्या यह वही तात्पर्य है आपका? क्या उनका यही मतलब था? हाँ, हाँ। अच्छा।

इसलिए हमें सावधान रहना चाहिए। हमें सदाचारी लोगों, अच्छे मित्रों और नैतिक मूल्यों वाले लोगों के करीब रहना चाहिए, ताकि उन्हें हमें इस अंतर्निहित अच्छाई की याद दिलाने का अवसर मिले, ताकि हम इसे न भूलें। मैं उन सद्गूणी मित्रों में से एक हूं, एक अच्छा साथी हूं, जो यहां सभी को याद दिलाने आयी हूं: आप सचमुच महान हैं। यह मास्टर के कारण नहीं है कि आप महान बनते हैं, बल्कि इसलिए कि आप पहले से ही महान हैं। बात सिर्फ इतनी है कि आप भूल गए हैं, चिंताओं से घिरे हुए हैं, समाज के दबाव में दबे हुए हैं, तनाव से घिरे हुए हैं, फिर जब हम अचानक परिस्थितियों का सामना करते हैं, हम प्रतिक्रिया करते हैं और अपना वास्तविक स्वरूप भूल जाते हैं। हम इस अंतर्निहित अच्छाई, या बुद्ध प्रकृति, या अपने भीतर ईश्वर के स्वर्गीय साम्राज्य को भूल जाते हैं।

परमेश्वर का राज्य ऐसा है: यह तब होता है जब हम बहुत आनंदित, बहुत प्रसन्न, बहुत प्रफुल्ल, बहुत उदार, बहुत सहनशील होते हैं। यही है परमेश्वर का राज्य। उन क्षणों में, हम अपने भीतर परमेश्वर के राज्य के एक अंश का अनुभव कर सकते हैं। लेकिन परमेश्‍वर का सच्चा राज्य इससे कहीं ज़्यादा महान है। इसका मतलब यह नहीं है कि कुछ देर के लिए खुश रहें, फिर अगले ही पल रोना या चिंता करना शुरू कर दें। शाश्वत सुख ही हमारे भीतर स्थित ईश्वर का सच्चा राज्य है। इसे ही परमेश्वर का राज्य, स्वर्ग या निर्वाण कहा जाता है। परमेश्वर के इस राज्य को पाना कठिन नहीं है; लेकिन इसे बनाए रखना आसान नहीं है। क्योंकि हम प्रायः चिंताओं से घिरे रहते हैं, उनसे प्रभावित होते हैं, और भूल जाते हैं। फिर हम उन चिंताओं का अनुसरण करते हैं, हम उनसे प्रभावित होते हैं, हम स्थिति को नियंत्रित करना भूल जाते हैं, हम अपने आंतरिक स्वामी बनना भूल जाते हैं।

आज, एक पत्रकार मेरा साक्षात्कार लेने आया था। उन्होंने पूछा, “माया की यह शक्ति, अर्थात नकारात्मक शक्ति, निषेध की शक्ति, कहाँ से आती है?” मैंने उत्तर दिया, “यह भी परमेश्वर की ओर से आती है।” उन्होंने कहा, “हं?” यह परमेश्वर की ओर से कैसे आ सकती है?” मैंने कहा, "क्योंकि बाइबल कहती है कि ईश्वर ने ब्रह्माण्ड और उसमें मौजूद हर चीज़ का निर्माण किया है।" ऐसी कोई चीज़ नहीं है जो उनके द्वारा निर्मित न की गयी हो। तो, यदि नकारात्मक शक्ति ईश्वर द्वारा नहीं बनाई गई, तो फिर इसे किसने बनाया? फिर उन्होंने कहा, “आह, यह सच है।”

लेकिन फिर, भगवान ने यह नकारात्मक शक्ति क्यों बनाई? मैंने कहा, "यह हमारे लिए बहुत उपयोगी है।" क्योंकि यह हमें यह सीखने का अवसर देता है कि इस नकारात्मक शक्ति को एक ऐसी शक्ति में कैसे बदला जाए जिसका उपयोग किया जा सके।” उदाहरण के लिए बिजली को ही लें - यह बहुत खतरनाक है। यदि हम इसे छू लें, या उच्च वोल्टेज वाले क्षेत्र के बहुत करीब आ जाएं, तो हमें बिजली का झटका लग सकता है, जिससे हमारा जीवन खतरे में पड़ सकता है। लेकिन एक बार जब हम बिजली का प्रबंधन और संचालन करना सीख जाते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं रहती। दूसरा उदाहरण है पैसा। यह कई लोगों को कानून तोड़ने, नियमों का उल्लंघन करने और बुरे काम करने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन अगर हम पैसे का उपयोग करना सीखें, और पैसे के द्वारा इस्तेमाल न होना सीखें, तो पैसा बहुत उपयोगी हो जाता है। समझे? पैसे से नियंत्रित होने की बजाय, हम उसे नियंत्रित करते हैं। हम धन को अपने ऊपर शासन करने देने के बजाय, उसके स्वामी बन जाते हैं। पैसे के बिना, हम निबाह नहीं कर सकते। हालाँकि, कुछ लोग पैसे के लिए बहुत लालची हो जाते हैं। पैसे के लिए, वे हत्या कर सकते हैं, चोरी कर सकते हैं, कई बुरे तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं और गलत काम करते हैं। उस बिंदु पर, पैसा एक नकारात्मक शक्ति में बदल जाता है। लेकिन अगर हम पैसे का बुद्धिमानी से उपयोग करना जानते हैं, तो पैसा एक सकारात्मक शक्ति बन जाता है।

यह बिजली की तरह है - इसके दो भाग हैं। एक ऋणात्मक ध्रुव है, और दूसरा है धनात्मक ध्रुव। एक धनात्मक, एक ऋणात्मक - दोनों के एक साथ आने पर ही विद्युत प्रवाहित होती है। क्या ऐसा नहीं है? यदि केवल सकारात्मक ही होता, तो कोई शक्ति नहीं होती। इस संसार में, वैसे दो प्रकार की शक्तियां हैं। एक है सकारात्मक शक्ति, हम इसे सकारात्मक शक्ति कहते हैं - ईश्वर की शक्ति। हम इसे करुणा, प्रेम, देखभाल और आशीर्वाद शक्ति कहते हैं। यह सकारात्मक शक्ति है - सकारात्मक शक्ति। दूसरी है नकारात्मक शक्ति, हम जिसे कहते हैं, माया, भ्रम। माया के राजा की शक्ति। माया की शक्ति इस संसार में लोगों को बांधने, उनके लालच, क्रोध और अज्ञानता का परीक्षण करने, उनकी बुद्धि और काबु करने की उनकी क्षमता का परीक्षण करने में माहिर है। अपने आप में, यह न तो अच्छा है और न ही बुरा। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसे कैसे संभालते हैं, और तदनुसार, यह अच्छा या बुरा बन जाता है।

Photo Caption: जहाँ जीवन को बनाए रखना संभव हो वहाँ बढ़ना!

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